क्या पाप का प्रलोभन पाप है?
आज के आत्मिक जीवन में, जब पाप करने का प्रलोभन आता है, तो कई सोचते हैं कि उन्होंने एक महान पाप किया है और वे दोषी विवेक को जगह देते हैं,और रोते हुए कहते हैं, "क्या मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर से दूर हो जाऊंगा?" क्या पाप का प्रलोभन वास्तव में पाप है? नहीं तो पाप क्या है। उस समय हमे क्या करना चाहिए ? हम इस भविष्यवाणी संदेश में ऐसे सवालों के जवाबों पर ध्यान देंगे।
हमारे स्वर्गीय पिता ने यीशु मसीह, परमेश्वर के पुत्र के बारे में गवाही देते हुए कहा, "वह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।" इस गवाही को सुनने वाले शैतान ने स्वर्ग के परमेश्वर से उसकी परीक्षा लेने की अनुमति मांगी। स्वर्गीय परमेश्वर ने भी यदि संभव हो तो दोष ढूंढो करके अनुमति दी। इसी तरह, शैतान ने पुराना नियम में संत अय्यूब की परीक्षा ली।
प्रभु यीशु मसीह भी शैतान द्वारा परीक्षा के लिए जंगल में ले जाया गया था। उसने शैतान के परीक्षा की तैयारी में चालीस दिन और रात का उपवास किया। उसे भूख लगी। फिर शैतान उसके पास आया और कहा, "यदि तू परमेश्वर का पुत्र हैं, तो कह दे,कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएं।" यदि वह इस शब्द का पालन करता है और पत्थरों को रोटी में बदल देता है, तो शैतान परीक्षा में जीत जाएगा। लेकिन प्रभु यीशु मसीह ने शैतान की बिल्कुल भी नहीं सुनी। इसके विपरीत, उसने शैतान के खिलाफ कहा, "मनुष्य केवल रोटी से नहीं, बल्कि परमेश्वर के प्रत्येक वचन से जीवित रहेगा।" और उसने परीक्षा को जीत लिया।
यह वह जगह है जहां आत्मिक रहस्य छिपे हुए हैं। शैतान परीक्षा के दौरान प्रभु यीशु मसीह से बात करता है। वह शैतान को देखता है; वह शैतान की आवाज़ सुनता है; वह शैतान के शब्दों की जाँच करता है; वह इसके बारे में भी सोचता है। यह कोई पाप कर्म नहीं है। यह एक प्रलोभन है जो आंख, कान और दिमाग में आया है।
इसके बाद वह क्या करता है, को रखकर ही वो पाप है या पवित्र है करके निर्णय किया जाएगा । शैतान की बात मानकर,उसकी आज्ञा मानकर पत्थर को रोटी में बदला होगा तो वह पाप है। लेकिन, अगर आप शैतान की अवज्ञा करके विरोध करते हैं, तो यह पवित्र है। उसने शैतान का विरोध किया। इसलिए, यीशु प्रलोभन जीता। यही प्रलोभन और पाप का अंतर है।
इसी तरह, शैतान हमारे विचारों के माध्यम से हमसे बात करेगा। हमें विपरीत लिंग को उत्सुकता से देखने के लिए प्रेरित करेगा। शैतान हमारे अंदर पाप करने की इच्छा पैदा करेगा। दोस्त और परिवार के लोग हमें पाप करने के लिए उक्सायेंगे। यह पाप के बजाय प्रलोभन है। यदि हम शैतान के शब्दों को सुनते हैं और जैसा वह कहता हैं वैसा ही करते हैं , तो यह एक पाप है। अगर हम शैतान की बात नहीं मानते और उसका विरोध करते हैं तो यह पवित्र है।
इसलिए, परमेश्वर के बच्चे पाप की परीक्षा आते ही आपने पाप किया है करके मत रोइए। दोषी विवेक के लिए भी जगह न दें। प्रलोभन के समय में खड़े होकर जीतिए। आप शैतान को हराओगे।
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